Friday 25 January 2019

व्यक्तित्व, सफलता और प्रसन्नता

व्यक्तित्व, सफलता और प्रसन्नता


हमारे व्यक्तित्व के चार आयाम (अंग या विभाग) हैं:-

  • शारीरिक (बाह्य) व्यक्तित्व (Physiological-Self)
  • बौद्धिक व मानसिक व्यक्तित्व (Intellectual & Psychological-Self)
  • भावनात्मक व्यक्तित्व और ऊर्जा (Emotional-Self, Energy-Self)
  • आध्यात्मिक व्यक्तित्व (Spiritual-Self)

हमारे जीवन में सफलता, समृद्धि एवं प्रसन्नता लाने में हमारे व्यक्तित्व के इन चारों अंगों का अपना-अपना (क्रमशः 10%, 20%, 30% तथा 40%) अंशदान होता है| इनके योग से ही सम्पूर्ण (100%) व्यक्तित्व बनता है|

हमको प्रतिदिन कुछ नए अनुभव मिलते हैं| हमारा प्रत्येक अनुभव, चाहे सुखद हो, कटुतापूर्ण हो या दुखदायक हो, हमें कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य देकर जाता है| स्वयं के अनुभवों से मिली हुई शिक्षा सबसे अधिक मूल्यवान होती है, और वही हमारे वास्तविक व्यक्तित्व का निर्माण व विकास करती है|अनुभव और उससे प्राप्त शिक्षा हमारे आचरण, चिंतन, निर्णय एवं कार्यव्यवहार में परिवर्तन लाती है| परिवर्तन सकारात्मक व नकारात्मक - दोनों प्रकार के होते हैं| प्रत्येक परिवर्तन से नई परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, तथा हमें अपने अनुभव व ज्ञान से उन परिस्थितियों को समझने, उनसे निबटने, उचित निर्णय लेने या सही विकल्प चुनने की समझ व क्षमता प्राप्त होती है| 

हम जब कोई निर्णय लेते हैं अथवा कोई विकल्प चुनते हैं तो परिणाम के रूप में दो प्रकार की स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, जिन्हें सफलता-विफलता, विजय-पराजय, हानि-लाभ या उपलब्धि-विध्वंश आदि कहा जाता है| जहां सफलता, विजय, उपलब्धि या लाभ की प्राप्ति होने पर हमें सम्पन्नता, उत्साह एवं आनन्द की अनुभूति होती है, वहीं इनके विपरीत या अनपेक्षित परिणाम आने पर हमारे मन में दुःख, अवसाद, विपन्नता या निराशा का भाव उत्पन्न होता है|

व्यक्तित्व के पहले दो विभागों के अंशदान का योग 30% है| यदि किसी के व्यक्तित्व के भावनात्मक एवं आध्यात्मिक पक्ष विकसित न हुए हों तो उसे अधिकतम 30% सफलता मिल सकेगी| अतएव, यदि कोई 100% सफलता व प्रसन्नता अर्जित करना चाहता है तो उसे अपने व्यक्तित्व को 100% के स्तर तक विकसित करना होगा - मानसिक दृढ़ता, भावनात्मक स्थिरता एवं आध्यात्मिक शक्तियों के योगदान के बिना 100% सफलता व प्रसन्नता मिलना असंभव है|

अपने व्यक्तित्व के चारों अंगों को (100% के स्तर तक) विकसित करने में सफल हो चुका व्यक्ति सदैव...

  • शांत (Calm), स्थिर (Stable) व अनुशासित (Disciplined) रहता है,
  • अपने ध्यान की इकाइयों (Attention Units) को बिखरने से रोकने तथा उन्हें अपने लक्ष्य पर केन्द्रित (Focused) करने में सक्षम होता है,
  • अपने निर्णय-कौशल (Decision-Making Ability) में कुशाग्रता, निश्चयात्मकता व स्पष्टता (Efficiency, Effectiveness & Clarity) बनाए रखता है,
  • अपने संवाद-कौशल एवं संबंधों की गुणवत्ता (Quality In Communication & Relationship) बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है,
  • देश-काल-परिस्थिति तथा अपने लक्ष्य के अनुरूप उपयोगी एवं सहायक शक्तियों को सहजता से अपनी ओर आकर्षित कर लेता है|


आध्यात्मिक प्रगति मानव जीवन की सबसे सुन्दर अवधारणा (Concept) है, जो कि मनुष्य की चेतना की स्थिति पर आधारित होती है| मानव जीवन विचारों की ऊर्जा से संचालित होता है| भोजन से हमारी शारीरिक स्थिति ही नहीं अपितु चिंतन प्रक्रिया भी प्रभावित होती है, और चिंतन प्रक्रिया का हमारी शारीरिक स्थिति पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है| इसी से हमारा जीवन संचालित होता है|

दैनिक जीवन के अनुभव हमारी चिंतन शक्ति को प्रभावित करते हैं| जिस प्रकार हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आहार की शुद्धता और पौष्टिकता के साथ-साथ नियमित स्वच्छता का ध्यान रखते हैं, उसी प्रकार विचारों की शुद्धता व पौष्टिकता के सम्बन्ध में सजग रहते हुए अपने मानसिक व  शारीरिक, दोनों प्रकार के स्वास्थ्य को उत्तम बनाया जा सकता है| इसके लिए मन को निरंतर स्वस्थ पोषण (Feed of Healthy Thoughts) देना तथा साथ-साथ नियमित सफाई (Cleaning) अर्थात् चित्त-शुद्धि (Purification of Conscience) का होना आवश्यक है| इससे हमारे भीतर मानसिक दृढ़ता (Psychological/Mental Strength) आती है और अपने मनोभावों को संतुलित (Emotional Balancing) करने तथा आवेगों का नियमन (Regulation of Impulses) करने में सहजता व सुगमता रहती है|

आध्यात्मिक दृष्टि से संपन्न (Spiritually Grown-up) व्यक्ति अपनी एकाग्रता की शक्ति (Concentration Power) के कारण जीवन में सर्वाधिक सफलता व प्रसन्नता अर्जित करता है| ऐसे व्यक्ति के लिए आतंरिक द्वंद्व (Internal Conflict), द्वैध मन (Dual Mind), विवेकहीनता (Lack of Understanding), ऊर्जा का ह्रास (Lowering of Energy) आदि विभिन्न प्रकार की मनोवैज्ञानिक अक्षमताओं (Psychological Weaknesses) से निबटना अत्यंत सुगम होता है|

-- देवेन्द्र कोटलिया (हल्द्वानी/नैनीताल, उत्तराखंड), 26 जनवरी, 2019.